प्रखर राष्ट्रवाद न्यूज़। मणिपुर के थोबाड़ जिले के नोकपोक पुलिस थाना के अंतर्गत दो महीने पहले हुई घटना के बारे में किसी को कोई जानकारी ही नहीं थी, या यूं कहें कि पुलिस प्रशासन भी अपराधियों से खौफ़जदा और नपुंसक हो गई थी। लेकिन अचानक ही मणिपुर में पुलिस ने अपनी मौजूदगी का एहसास दिखाया। आपको बता दें कि ये घटना का वीडियो मणिपुर के सायकोल पुलिस थाना अंतर्गत एक गांव जिसे फाइनोम कहते हैं, जहां अत्यधिक मात्रा कुर्की समूह के लोग निवास करते हैं। 3 मई 2023, रात तकरीबन 12 बजे अचानक जाति मतभेद के कारण मैतेई समूह के कुछ लोग वहां आकर धमकी चमकी करने लगे किंतु कुर्की समूह के लोगों की संख्या अत्यधिक होने के कारण शोर शराबा कर वापस चले गए। लेकिन उसके अगले सुबह 4 मई 2023 को लगभग 11 बजे 800 से 1000 की तादात में मैतेई समूह के लोग आधुनिक हथियार AK47, रायफल, चाकू और लाठी लेकर कुर्की समूह के ऊपर टूट पड़े। जिससे अपनी जान बचाने के लिए लोग इधर उधर भागने लगे। इसी बीच 3 महिला और 2 पुरुष जंगल की ओर अपनी जान बचाने भाग निकले। तभी वहां पांचों की भेंट पुलिस से होती है, फिर पांचों व्यक्तियों को पुलिस अपनी गाड़ी में बिठाकर ले जाती रहती है, ठीक उसी समय मैतई समूह के लोग वहां पहुंच जाते हैं और उन्हें जबरदस्ती पुलिस गाड़ी को 1000 की संख्या में घेरकर उतार लेते हैं। फिर उनमें से 53 वर्ष की महिला को उसकी जान की धमकी देकर निर्वस्त्र कर देते हैं और महिला पुलिस को देखती रह गई, पिता को जान से मार दिया गया। फिर क्रमशः 42 वर्षीय महिला को भी निर्वस्त्र कर 21 वर्षीय लड़की को निर्वस्त्र कर रहे थे तभी अपनी बहन को बचाने के लिए भाई ने आगे बढ़ा कि उसे भी मौत के घाट उतार दिया जाता है। इसके साथ मैतई समूह के लोग 21 वर्षीय लड़की का सामूहिक बलात्कार कर निर्वस्त्र कर रैली को तरह आगे आगे धक्का मार मारकर चलवाते हैं। 18 मई 2023 को इसकी सूचना मणिपुर साइकोल पुलिस थाना में फाइनोम के मुखिया लुंगथोन ने पीड़िता के साथ यही घटना को 0 एफ.आई.आर. करवाई थी। मगर पुलिस ने आरोपियों को किसी भी प्रकार की कोई पूछताछ नहीं की। मगर जैसे ही इस घटना का वीडियो 19 जुलाई 2023 को सोशल मीडिया में वायरल होने लगी और ये वीडियो पूरे भारत में आग की तरह फेल गई तो पुलिस प्रशासन ने अपनी जांच शुरू की और मुख्य पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। बताया जाता है कि हमला में मुख्य रूप से कई संगठन जैसे मैतेई युवा संगठन, विश्व मैतेई परिषद, अनुसूचित जनजाति मांग समिति से जुड़े हुए सभी मैतेई समूह के थे। आखिर मानवता भी कोई चीज़ होती है। इसके बावजूद पुलिस प्रशासन हाथ में हाथ धरे बैठी थी। आखिर कौन कर रहा था इसका संरक्षण? क्या कानून का भय मिट चुका है? मणिपुर की पुलिस प्रशासन इतनी लाचार क्यों थी? वहां की सरकार आरोपियों को क्या सजा दे पाएगी?

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