December 1, 2025

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SECL मांगे खून, मजदूर की पत्नी ने कलिंगा से तंग आकर किया आत्महत्या

प्रखर राष्ट्रवाद न्यूज़। आय दिन आत्महत्या के मामले सामने आते ही रहते हैं। मगर यह आत्महत्या अनोखी और अज़ीब है। एसईसीएल मानिकपुर कोरबा में खदान को नारायणी कंपनी ने ठेके पर लिया था। जिसमें नारायणी कंपनी ने स्थानीय बेरोजगारों व भूविस्थापितों को सम्मान और रोजगार दिया था। चूंकि अब नारायणी कंपनी का ठेका अवधि समाप्त हो चुकी है। जिसे अब वर्तमान में कलिंगा कंपनी ने लिया है। कलिंगा कंपनी जितने भी स्थानीय भूविस्थापित ड्राइवर, हेल्पर तथा अन्य सभी कर्मचारी को रोजगार देने से साफ मना कर रही है वरना इतने दिन भूविस्थापितो को चक्कर काटने की नौबत ही नहीं आती। हद तो तब हो गई जब कलिंगा कंपनी के जितने भी बड़े अधिकारी हैं जैसे जीएम और मैनेजर जिसमें खास तौर पर मोहंती, जो अपने पिट्ठू कलीराम को पैसा वसूली कर रोजगार दिलाने में अहम भूमिका निभाती है। इसी बीच कलिंगा कंपनी के कंपाउंड के भीतर जाकर एक महिला जिंदी कौर आत्महत्या करती है, जो इसी कलिंगा कंपनी की सताई हुई थी। क्योंकि लगभग साल भर से उसके पति रूमेल सिंह जोकि पूर्व में नारायणी कंपनी में टेंपर चालक हुआ करता था जो अब कलिंगा कंपनी के चक्कर लगा लगाकर थक चुका है, उनके पास खाने को अनाज के लिए दर दर भटकना पड़ता था। अब सोचना यह है कि कलिंगा कंपनी कभी रुमेल सिंह को रोजगार देगा? साफ साफ दिख रहा है एक महिला के आत्महत्या से अगर कलिंगा कंपनी को फर्क नहीं पड़ता तो किसी के कुछ होने पर क्या फर्क पड़ेगा? स्थानीय पूर्व पार्षद व जिला महामंत्री इंटक सीताराम चौहान ने कलिंगा कंपनी की निंदा भी की है और कहा कि अगर कलिंगा कंपनी स्थानीय बेरोजगार और भूविस्थापितों को रोजगार नहीं देती तो खदान बंद करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। आखिर और कितने मजदूरों की जान की प्यासी बनेगी कलिंगा कंपनी? आखिरकार चल ही तो रहा है खदान का काम, क्या हुआ आत्महत्या से? क्या कोई असर नहीं हुआ कलिंगा कंपनी को? या यूं कहें कलिंगा को अपना काम से मतलब है किसी की जान से क्या? देखना यह है कि क्या कलिंगा कंपनी अपने वादे से फिर मुकरती है या फिर बेरोजगारों की भर्ती लेता है? गौरतलब है कि इतने बड़े घटना घटित होने के बाद भी कलिंगा कंपनी भूविस्थापितों को रोजगार देने के बजाय तारीख दे रखी है?